Bnss धारा १४२ : प्रतिभूति (जमानत) देनें में असफलता के कारण कारावासित व्यक्तियों को छोडने की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १४२ :
प्रतिभूति (जमानत) देनें में असफलता के कारण कारावासित व्यक्तियों को छोडने की शक्ति :
१) जब कभी धारा १३६ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामलें में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की यह राय है कि कोई व्यक्ति जो इस अध्याय के अधीन प्रतिभूति देने में असफल रहने के कारण कारावासित है, समाज या किसी अन्य व्यक्ति को परिसंकट में डाले बिना छोडा जा सकता है तब वह ऐसे व्यक्ति के उन्मोचित किए जाने का आदेश दे सकता है ।
२) जब कभी कोई व्यक्ती इस अध्याय के अधीन प्रतिभूति देने में असफल रहने के कारण कारावासित किया गया हो तब उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय या जहाँ आदेश किसी अन्य न्यायालय द्वारा किया गया है वहाँ धारा १३६ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रतिभूति की रकम को या प्रतिभुओं की संख्या को या उस समय को, जिसके लिए प्रतिभूति की अपेक्षा की गई है, कम करते हुए आदेश दे सकता है ।
३) उपधारा (१) के अधीन आदेश ऐसे व्यक्ति का उन्मोचन या तो शर्तो के बिना या ऐसी शर्तो पर, जिन्हें वह व्यक्ति स्वीकार करे, निर्दिष्ट कर सकता है :
परन्तु अधिरोपित की गई कोई शर्त उस अवधि की समाप्ति पर, प्रवृत्त न रहेगी जिसके लिए प्रतिभूति देने का आदेश दिया गया है ।
४) राज्य सरकार नियमों द्वारा उन शर्तों को विहित कर सकती है जिन पर सशर्त उन्मोचन (छोडना) किया जा सकता है ।
५) यदि कोई शर्त, जिस पर ऐसा कोई व्यक्ति उन्मोचित किया गया है, धारा १३६ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की राय में, जिसने उन्मोचन का आदेश दिया था या उसके उत्तरवर्ती की राय में पूरी नहीं की गई है, तो वह उस आदेश को रद्द कर सकता है ।
६) जब उन्मोचन का सशर्त आदेश उपधारा (५) के अधीन रद्द कर दिया जाता है तब ऐसा व्यक्ति किसी पुलिस अधिकारी द्वारा वारण्ट के बिना गिरफ्तार किया जा सकेगा और फिर धारा १३६ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामलें में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा ।
७) उस दशा के सिवाय जिसमें ऐसा व्यक्ति मूल आदेश के निबंधनों के अनुसार उस अवधि के शेष भाग के लिए, जिसके लिए उसे प्रथम बार कारागार सुपुर्द किया गया था या निरुद्ध किए जाने का आदेश दिया गया था और ऐसा भाग उस अवधि के बराबर समझा जाएगा, जो उन्मोचन की शर्तों के भंग होने की तारीख और उस तारीख के बीच की है जिसको यह ऐसे सशर्त उन्मोचन के अभाव में छोडे जाने का हकदार होता प्रतिभूति दे देता है, धारा १३६ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामलें में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति को ऐसा शेष भाग भुगतने के लिए कारागार भेज सकता है ।
८) उपधारा (७) के अधीन कारागार भेजा गया व्यक्ति, ऐसे न्यायालय या मजिस्ट्रेट को, जिसने ऐसा आदेश किया था या उसके उत्तरवर्ती को, पूर्वोक्त शेष भाग के लिए मूल आदेश के निबंधनों के अनुसार प्रतिभूति देने पर, धारा १४१ के उपबंधो के अधीन रहते हुए, किसी भी समय छोडा जा सकता है ।
९) उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय परिशांति कायम रखने के लिए या सदाचार के लिए बंधपत्र को, जो उसके द्वारा किए गए किसी आदेश से इस अध्याय के अधीन निष्पादित किया गया है, पर्याप्त कारणों से, जो अभिलिखित किए जाएँगे, किसी समय भी रद्द कर सकता है और जहाँ ऐसा बंधपत्र धारा १३६ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्टड्ढट या उसके जिले के किसी न्यायालय के आदेश के अधीन निष्पादित किया गया है वहाँ वह उसे ऐसे रद्द कर सकता है ।
१०) कोई प्रतिभू जो किसी अन्य व्यक्ति के शांतिमय आचरण या सदाचार के लिए इस अध्याय के अधीन बंधपत्र के निष्पादित करने के लिए आदिष्ट है, ऐसा आदेश करने वाले न्यायालय से बंधपत्र को रद्द करने के लिए किसी भी समय आवेदन कर सकता है और ऐसा आवेदन किए जाने पर न्यायालय वह अपेक्षा करदे हुए कि वह व्यक्ति, जिसके लिए ऐसा प्रतिभू आबद्ध है, हाजिर हो या उसके समक्ष लाया जाए, समन या वारण्ट, जो भी वह ठीक समझे, जारी करेगा ।

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  1. aryan
    aryan

    Crpc 1973
    धारा १२३ :
    प्रतिभूति (जमानत) देनें में असफलता के कारण कारावासित व्यक्तियों को छोडने की शक्ति :

    (See section 142 of BNSS 2023)
    १)जब कभी १.(धारा ११७ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामलें में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) की यह राय है कि कोई व्यक्ति जो इस अध्याय के अधीन प्रतिभूति देने में असफल रहने के कारण कारावासित है, समाज या किसी अन्य व्यक्ति को परिसंकट में डाले बिना छोडा जा सकता है तब वह ऐसे व्यक्ति के उन्मोचित किए जाने का आदेश दे सकता है ।
    २)जब कभी कोई व्यक्ती इस अध्याय के अधीन प्रतिभूति देने में असफल रहने के कारण कारावासित किया गया हो तब उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय या जहाँ आदेश किसी अन्य न्यायालय द्वारा किया गया है वहाँ १.(धारा ११७ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) प्रतिभूति की रकम को या प्रतिभुओं की संख्या को या उस समय को, जिसके लिए प्रतिभूति की अपेक्षा की गई है, कम करते हुए आदेश दे सकता है ।
    ३)उपधारा (१) के अधीन आदेश ऐसे व्यक्ति का उन्मोचन या तो शर्तो के बिना या ऐसी शर्तो पर, जिन्हें वह व्यक्ति स्वीकार करे, निर्दिष्ट कर सकता है :
    परन्तु अधिरोपित की गई कोई शर्त उस अवधि की समाप्ति पर, प्रवृत्त न रहेगी जिसके लिए प्रतिभूति देने का आदेश दिया गया है ।
    ४)राज्य सरकार उन शर्तों को विहित कर सकती है जिन पर सशर्त उन्मोचन (छोडना) किया जा सकता है ।
    ५)यदि कोई शर्त, जिस पर ऐसा कोई व्यक्ति उन्मोचित किया गया है, (धारा ११७ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) की राय में, जिसने उन्मोचन का आदेश दिया था या उसके उत्तरवर्ती की राय में पूरी नहीं की गई है, तो वह उस आदेश को रद्द कर सकता है ।
    ६)जब उन्मोचन का सशर्त आदेश उपधारा (५) के अधीन रद्द कर दिया जाता है तब ऐसा व्यक्ति किसी पुलिस अधिकारी द्वारा वारण्ट के बिना गिरफ्तार किया जा सकेगा और फिर धारा ११७ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामलें में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा ।
    ७)उस दशा के सिवाय जिसमें ऐसा व्यक्ति मूल आदेश के निबंधनों के अनुसार उस अवधि के शेष भाग के लिए, जिसके लिए उसे प्रथम बार कारागार सुपुर्द किया गया था या निरुद्ध किए जाने का आदेश दिया गया था (और ऐसा भाग उस अवधि के बराबर समझा जाएगा, जो उन्मोचन की शर्तों के भंग होने की तारीख और उस तारीख के बीच की है जिसको यह ऐसे सशर्त उन्मोचन के अभाव में छोडे जाने का हकदार होता) प्रतिभूति दे देता है, धारा ११७ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामलें में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति को ऐसा शेष भाग भुगतने के लिए कारागार भेज सकता है ।
    ८) उपधारा (७) के अधीन कारागार भेजा गया व्यक्ति, ऐसे न्यायालय या मजिस्ट्रेट को, जिसने ऐसा आदेश किया था या उसके उत्तरवर्ती को, पूर्वोक्त शेष भाग के लिए मूल आदेश के निबंधनों के अनुसार प्रतिभूति देने पर, धारा १२२ के उपबंधो के अधीन रहते हुए, किसी भी समय छोडा जा सकता है ।
    ९)उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय परिशांति कायम रखने के लिए या सदाचार के लिए बंधपत्र को, जो उसके द्वारा किए गए किसी आदेश से इस अध्याय के अधीन निष्पादित किया गया है, पर्याप्त कारणों से, जो अभिलिखित किए जाएँगे, किसी समय भी रद्द कर सकता है और जहाँ ऐसा बंधपत्र धारा ११७ के अधीन किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित किसी आदेश के मामले में जिला मजिस्ट्रेट या किसी अन्य मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्टड्ढट या उसके जिले के किसी न्यायालय के आदेश के अधीन निष्पादित किया गया है वहाँ वह उसे ऐसे रद्द कर सकता है ।
    १०) कोई प्रतिभू जो किसी अन्य व्यक्ति के शांतिमय आचरण या सदाचार के लिए इस अध्याय के अधीन बंधपत्र के निष्पादित करने के लिए आदिष्ट है, ऐसा आदेश करने वाले न्यायालय से बंधपत्र को रद्द करने के लिए किसी भी समय आवेदन कर सकता है और ऐसा आवेदन किए जाने पर न्यायालय वह अपेक्षा करदे हुए कि वह व्यक्ति, जिसके लिए ऐसा प्रतिभू आबद्ध है, हाजिर हो या उसके समक्ष लाया जाए, समन या वारण्ट, जो भी वह ठीक समझे, जारी करेगा ।
    ——–
    १. १९७८ के अधिनियम सं० ४५ की धारा १२ द्वारा (१८-१२-१९७८ से) कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।

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