भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १२० :
कतिपय (कुछ) मामलों में संपत्ति का समपऱ्हरण :
१) न्यायालय, धारा ११९ के अधीन जारी की गई कारण बताओ सूचना के स्पष्टीकरण पर, यदि कोई हो, और समक्ष उपलब्ध सामग्रियों पर विचार करने के पश्चात् तथा प्रभावित व्यक्ति को (और ऐसे मामलें में जहाँ प्रभावित व्यक्ती सूचना में विनिर्दिष्ट कोई संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से धारित करता है वहाँ ऐसे अन्य व्यक्ति को भी) सुनवाई का युक्तीयुक्त (उचित) अवसर देने के पश्चात् आदेश द्वारा, अपना यह निष्कर्ष अभिलिखित करेगा कि प्रश्नगत सभी या कोई संपत्ति अपराध का आगम (प्राप्ती) है या नहीं :
परन्तु यदि प्रभावित व्यक्ति (और मामले में जहाँ प्रभावित व्यक्ति सूचना में विनिर्दिष्ट कोई संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से धारित करता है वहाँ ऐसा अन्य व्यक्ती भी) न्यायालय के समक्ष हाजिर नहीं होता है या कारण बताओं सूचना में विनिर्दिष्ट तीन दिन की अवधि के भीतर उसके समक्ष अपना मामला अभ्यावेदित नहीं करता है तो न्यायालय, अपने समक्ष उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर इस उपधारा के अधीन एकपक्षीय निष्कर्ष अभिलिखित करने के लिए अग्रसर हो सकेगा ।
२) जहाँ न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि कारण बताओं सूचना में निर्दिष्ट संपत्ति में से कुछ अपराध का आगम (प्राप्ती) है, किन्तु ऐसी संपत्ति की विनिर्दिष्ट रुप से पहचान करना संभव नहीं है वहाँ न्यायालय के लिए ऐसी संपत्ति को विनिर्दिष्ट करना जो उसके सर्वोत्तम निर्णय के अनुसार अपराध का आगम (प्राप्ती) है और तदनुसार उपधारा (१) के अधीन निष्कर्ष अभिलिकित करना विधिपूर्ण होगा ।
३) जहाँ न्यायालय इस धारा के अधीन इस आशय का निष्कर्ष अभिलिखित करता है कि कोई संपत्ति अपराध का आगम (प्राप्ती) है वहाँ ऐसी संपत्ति सभी विल्लंगमों (ऋणभार) से मुक्त होकर केन्द्रीय सरकार को समपऱ्हत हो जाएगी ।
४) जहाँ किसी कंपनी के कोई शेयर इस धारा के अधीन केन्द्रीय सरकार को समपऱ्हत हो जाते है वहाँ कंपनी अधिनियम २०१३ (२०१३ का १८) में या कंपनी के संगम-अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, कंपनी केन्द्रीय सरकार को ऐसे शेयरों के अंतरिती के रुप में तुरंत रजिस्टर करेगी ।