भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ११५ :
संपत्ति की कुर्की या समपहरण (जब्ती) के आदेशों के सम्बन्ध में सहायता :
१) जहाँ भारत के किसी न्यायालय के पास यह विश्वास करने के युक्तियुक्त (उचित) आधार है कि किसी व्यक्ति द्वारा अभिप्राप्त कोई संपत्ति ऐसे व्यक्ति को किसी अपराध के किए जाने से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से व्युत्पन्न हुई है वहाँ वह ऐसी संपत्ति की कुर्की या समपहरण का कोई आदेश दे सकेगा जो वह धारा ११६ से धारा १२२ (दोनों सहित) के उपबंधो के अधीन ठीक समझे ।
२) जहाँ न्यायालय ने उपधारा (१) के अधीन किसी संपत्ती की कुर्की या समपहरण का कोई आदेश दिया है और ऐसी संपत्ति के किसी संविदाकारी राज्य में होने का संदेह है वहाँ न्यायालय, संविदाकारी राज्य के न्यायालय या प्राधिकारी को ऐसे आदेश के निष्पादन के लिए अनुराध पत्र जारी कर सकेगा ।
३) जहाँ केन्द्रीय सरकार को किसी संविदाकारी राज्य के किसी न्यायालय या किसी प्राधिकारी से अनुराध पत्र प्राप्त होता है जिसमें किसी ऐसी संपत्ति की भारत में कुर्की या समपहरण करने का अनुराध किया गया है जो किसी व्यक्ती द्वारा किसी ऐसे अपराध के किए जाने से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से व्युत्पन्न या अभिप्राप्त की गई है जो उस संविदाकारी राज्य में किया गया है वहाँ केन्द्रीय सरकार, ऐसा अनुरोध पत्र ऐसे किसी न्यायालय को, जिसे वह ठीक समझे, यथास्थिति, धारा ११६ से धारा १२२ (दोनों सहित) के या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के उपबंधों के अनुसार निष्पादन के लिए अग्रेषित कर सेकगी ।