भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ११४ :
व्यक्तियों का अन्तरण (हस्तांतरण / स्थानांतरण) सुनिश्चित करने में सहायता :
१) जहाँ भारत का कोई न्यायलय, किसी अपराधिक मामले के सम्बन्ध में यह चाहता है कि हाजिर होने अथवा किसी दस्तावेज या अन्य चीज को पेश करने के लिए, किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए किसी वारण्ट का जो उस न्यायालय द्वारा जारी किया गया है, निष्पादन किसी संविदाकारी राज्य के किसी स्थान में किया जाए वहाँ वह ऐसे वारण्ट को दो प्रतियों में और ऐसे प्ररुप में ऐसे न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को, ऐसे प्राधिकारी के माध्यम से भेजेगा, जो केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, और यथास्थिति, वह न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट उसका निष्पादन कराएगा ।
२) यदि, किसी अपराध के किसी अन्वेषण या किसी जाँच के दौरान अन्वेषण अधिकारी या अन्वेषण अधिकारी से पंक्ति में वरिष्ठ किसी अधिकारी द्वारा यह आवेदन किया जाता है कि किसी ऐसे व्यक्ति की, जो किसी संविदाकारी राज्य के किसी स्थान में है, ऐसे अन्वेषण या जांच के सम्बन्ध में हाजिरी अपेक्षित है और न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी हाजिरी अपेक्षित है तो वह उक्त व्यक्ति के विरुद्ध ऐसे समन या वारण्ट को तामील और निष्पादन कराने के लिए, दो प्रतियों में, ऐसे न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को ऐसे प्ररुप में जारी करेगा, जो केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे ।
३) जहाँ भारत के किसी न्यायालय को, किसी आपराधिक मामले के सम्बन्ध में, किसी संविदाकारी राज्य के किसी न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया गया कोई वारण्ट किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए प्राप्त होता है जिसमें ऐसे व्यक्ति से उस न्यायालय में या किसी अन्य अन्वेषण अभिकरण के समक्ष हाजिर होने अथवा हाजिर होने और कोई दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने की अपेक्षा की गई है वहाँ वह उसका निष्पादन इस प्रकार कराएगा मानो यह ऐसा वारण्ट हो जो उसे भारत के किसी अन्य न्यायालय से अपनी स्थानीय अधिकारिता के भीतर निष्पादन के लिए प्राप्त हुआ है ।
४) जहाँ उपधारा (३) के अनुसरण में किसी संविदाकारी राज्य को अंतरित कोई व्यक्ति भारत में बंदि है वहाँ भारत का न्यायालय या केन्द्रीय सरकार ऐसी शर्ते अधिरोपित कर सकेगी जो वह न्यायालय या सरकार ठीक समझे ।
५) जहाँ उपधारा (१) या (२) के अनुसरण में भारत को अन्तरित कोई व्यक्ति किसी संविदाकारी राज्य में बंदी है वहाँ भारत का न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि उन शर्तों का, जिनके अधीन बंदी भारत को अंतरित किया जाता है, अनुपालन किया जाए और ऐसे बंदी ऐसी शर्तो के अधीन अभिरक्षा में रखा जाएगा, जो केन्द्रीय सरकार लिखित रुप में निर्दिष्ट करे ।