भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ११० :
आदेशिकोओं के बारे में व्यतिकारी (पारस्परिक / आपसी) व्यवस्था :
१) जहाँ उन राज्यक्षेत्रों का कोई न्यायालय, जिन पर इस संहिता का विस्तार है (जिन्हें इसके पश्चात् इस धारा में उक्त राज्यक्षेत्र कहा गया है ) यह चाहता है कि :
(a) क) किसी अभियुक्त (आरोपी) व्यक्ति के नाम किसी समन की; अथवा
(b) ख)किसी अभियुक्त व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए किसी वारण्ट की; अथवा
(c) ग) किसी व्यक्ति के नाम यह अपेक्षा करने वाले ऐसे किसी समन की कि वह किसी दस्तावेज या अन्य चीज को पेश केरे, अथवा हाजिर हो और उसे पेश करे; अथवा
(d) घ) किसी तलाशी-वारण्ट की,
जो उस न्यायालय द्वारा जारी किया गया है, तामील निष्पादन किसी ऐसे स्थान में किया जाए, जो :-
एक) उक्त राज्यक्षेत्रों के बाहर भारत में किसी राज्य या क्षेत्र के न्यायालय की स्थानीय अधिकारिता के अन्दर है, वहाँ वह ऐसे समन या वारण्ट की तामील या निष्पादन के लिए, दो प्रतियों में, उस न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के पास डाक द्वारा या अन्यथा भेज सकता है; और जहाँ खण्ड (क) या (ग) में निर्दिष्ट किसी समन की तामील इस प्रकार कर दी गई है वहाँ धारा ७० के उपबंध उस समन के सम्बन्ध में ऐसे लागू होंगे, मानो जिस न्यायालय को वह भेजा गया है उसका पीठासीन अधिकारी उक्त राज्य क्षेत्रों में मजिस्ट्रेट है;
दो) भारत के बाहर किसी ऐसे स्थान में है, जिसकी बाबत केन्द्रीय सरकार द्वारा, दांडिक मामलों के सम्बन्ध में समन या वारण्ट की तामील या निष्पादन के लिए ऐसे देश या स्थान की सरकार के (जिसे इस धारा में इसके पश्चात् संविदाकारी राज्य कहा गया है) साथ व्यवस्था की गई है, वहाँ वह ऐसे न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को निर्दिष्ट ऐसे समन या वारण्ट को, दो प्रतियों में, ऐसे प्ररुप में और पारेषण के लिए प्राधिकारी को भेजेगा, जो केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे ।
२) जहाँ उक्त राज्यक्षेत्रों के न्यायालय को :-
(a) क) किसी अभियुक्त व्यक्ति के नाम कोई समन;अथवा
(b) ख) किसी अभियुक्त व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए कोई वारण्ट; अथवा
(c) ग) किसी व्यक्ति से यह अपेक्षा करने वाला ऐसा कोई समन कि वह कोई दस्तावेज या अन्य चीज पेश करे, अथवा हजिर हो और उसे पेश करे; अथवा
(d) घ) कोई तलाशी-वारण्ट,
जो निम्नलिखित में से किसी के द्वारा जारी किया गया है :-
एक) उक्त राज्यक्षेत्रों के बाहर भारत में किसी राज्य या क्षेत्र के न्यायालय;
दो) किसी संविदाकारी राज्य का कोई न्यायालय, न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट,
तामील या निष्पादन के लिए प्राप्त होता है, वहाँ वह उसकी तामील या निष्पादन ऐसे कराएगा मानो वह ऐसा समन या वारण्ट है जो उसे उक्त राज्यक्षेत्रों के किसी अन्य न्यायालय से अपनी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर तामील या निष्पादन के लिए प्राप्त हुआ है ; और जहा –
एक) गिरफ्तारी का वारण्ट निष्पादित कर दिया जाता है, वहाँ गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के बारे में कार्यवाही यथासंभव धारा ८२ और ८३ द्वारा विहित प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी;
दो) तलाशी-वारण्ट निष्पादित कर दिया जाता है, वहाँ तलाशी में पाई गई चीजों के बारे में कार्यवाही यथासंभव धारा १०४ में विहित प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी :
परन्तु उस मामले में, जहाँ संविदाकारी राज्य से प्राप्त समन या तलाशी वारण्ट का निष्पादन कर दिया गया है, तलाशी में पेश किए गए दस्तावेज या चीजें या पाई गई चीजें, समन या तलाशी वारण्ट जारी करने वाले न्यायालय की, ऐसे प्राधिकारी की मार्फत अग्रेषित की जाएगी, जो केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे ।