भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ५१६ :
कुछ दशाओं में समय का अपवर्जन (निकालना / छोडना) :
१) परिसीमा-काल की संगणना करने में, उस समय का अपवर्जन किया जाएगा, जिसके दौरान कोई व्यक्ति चाहे प्रथम बार के न्यायालय में या अपील या पुनरिक्षण न्यायालय में अपराधी के विरुद्ध अन्य अभियोजन सम्यक् तत्परता से चला रहा है :
परन्तु ऐसा अपवर्जन तब तक नहीं किया जाएगा जब तक अभियोजन उन्हीं तथ्यों से संबंधित न हो और ऐसे न्यायालय में सद्भावपूर्वक न किया गया हो जो अधिकारिता में दोष या इसी प्रकार के अन्य कारण से उसे ग्रहण करने में असमर्थ हो ।
२) जहाँ किसी अपराध की बाबत अभियोजन का संस्थित किया जाना किसी व्यादेश या आदेश द्वारा रोक दिया गया है वहाँ परिसीमा-काल की संगणना करनें में व्यादेश या आदेश के बने रहने की अवधि को, उस दिन को, जिसको वह जारी किया गया था या दिया गया था और उस दिन को, जिस दिन उसे वापस लिया गया था, अपवर्जित किया जाएगा ।
३) जहाँ किसी अपराध के अभियोजन के लिए सूचना दी गई है, या जहाँ तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी की पूर्व अनुमति या मंजूरी किसी अपराध की बाबत अभियोजन संस्थित करने के लिए अपेक्षित है वहाँ परिसीमा-काल की संगणना करने में, ऐसी सूचना की अवधि या, यथास्थिति, ऐसी अनुमति या मंजूरी प्राप्त करने के लिए आवश्यक समय अपवर्जित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण :
सरकार या किसी अन्य प्राधिकारी की अनुमति या मंजरी प्राप्त करने के लिए आवश्यक समय की संगणना करने में उस तारिख का जिसको अनुमति या मंजूरी प्राप्त करने के लिए आवेदन दिया गया था और उस तारीख का जिसको सरकार या अन्य प्राधिकारी का आदेश प्राप्त हुआ, दोनों का अपवर्जन किया जाएगा ।
४)परिसीमा-काल की संगणना करने में, वह समय अपवर्जित किया जाएगा जिसक दौरान अपराधी-
(a) क) भारत से या भारत से बाहर किसी राज्यक्षेत्र से, जो केन्द्रीय सरकार के प्रशासन के अधीन है, अनुपस्थित रहा है, या
(b) ख) फरार होकर या अपने को छिपाकर गिरफ्तारी से बचता है ।