भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
अध्याय ३ :
न्यायालयों की शक्ति :
धारा २१ :
न्यायालय, जिनके द्वारा अपराध विचारणीय है :
इस संहिता के अन्य उपबन्धों के अधीन रहते हुए-
(a) क) भारतीय न्याय संहिता २०२३ के अधीन किसी अपराध का विचारण –
एक) उच्च न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, या
दो) सेशन न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, या
तीन) किसी अन्य ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसके द्वारा उसका विचारणीय होना प्रथम अनुसूची में दर्शित किया गया है :
परन्तु यह कि भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा ६४, धारा ६५, धारा ६६, धारा ६७, धारा ६८, धारा ६९, धारा ७० या धारा ७१ के अधीन किसी अपराध का विचारण, यथाव्यवहार्य ऐसे न्यायालय के द्वारा किया जाएगा जिसकी पीठासीन अधिकारी कोई महिला हो ।
(b) ख) किसी अन्य विधि के अधीन किसी अपराध का विचारण, जब उस विधि में इस निमित्त कोई न्यायालय उल्लिखित है, तब उस न्यायालय द्वारा किया जाएगा और जब कोई न्यायालय इस प्रकार उल्लिखित नहीं है तब –
एक) उच्च न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, या
दो) किसी अन्य ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसके द्वारा विचारणीय होना प्रथम अनुसूची में दर्शित किया गया है ।