भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ९६ :
बालक का उपापन (प्राप्ती / दलाली) :
धारा : ९६
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : बालक का उपापन ।
दण्ड : दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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जो कोई बालक को किसी अन्य व्यक्ती से अयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से तद्द्वारा विवश या विलुब्ध किया जाएगा यह संभाव्य जानते हुए ऐसे बालक को किसी स्थान से जाने को या कोई करने को किसी भी साधन द्वारा उत्प्रेरित करेगा, वह कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।