भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ८७ :
किसी स्त्री को विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए व्यपहरण (व्यक्ती को ले भागना) या अपहरण (भगाना) या उत्प्रेरित करना :
धारा : ८७
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी स्त्री को विवाह करने के लिए विवश करने या भ्रष्ट करने आदि के लिए उसे व्यपऱ्हत या अपऱ्हत करना ।
दण्ड : दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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जो कोई किसी स्त्री का व्यपहरण या अपहरण उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी व्यक्ती से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करने के आशय से या वह विवश की जाएगी, यह संभाव्य जानते हुए अथवा अयुक्त संभोग करने के लिए उस स्त्री को विवश या विलुब्ध करने के लिए या वह स्त्री अयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध की जाएगी, यह संभाव्य जानते हुऐ करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डि त किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा, और जो कोई किसी स्त्री को किसी अन्य व्यक्ती से अयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से या वह विवश या विलुब्ध की जाएगी, यह संभाव्य जानते हुए इस संहिता में यथापरिभाषित आपराधिक अभित्रास द्वारा या प्राधिकार के दुरुपयोग द्वारा विवश करने के अन्य साधन द्वारा उस स्त्री को किसी स्थान से जाने को उत्प्रेरित करेगा, वह भी पूर्वाक्त (पुर्व कथित) प्रकार से दण्डनीय होगा ।