भारतीय न्याय संहिता २०२३
विवाह से संबंधित अपराधों के विषय में :
धारा ८० :
दहेज मृत्यु :
धारा : ८० (२)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : दहेज मृत्यु ।
दण्ड : कम से कम सात वर्ष के लिए कारावास किन्तु जो आजीवन करावास तक का हो सकेगा ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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१) जहां किसी स्त्री की मृत्यु किसी दाह या शारीरिक क्षति (हानी) द्वारा कारित की जाती है या उसके विवाह के सात वर्ष के भीतर सामान्य परिस्थितियों से अन्यथा हो जाती है और यह दर्शित किया जाता है कि उसकी मृत्यु के कुछ पूर्व उसके पति या उसके पति के नातेसंबंधीयों ने, दहेज की किसी मांग के लिए, या उसके संबंध में, उसके साथ कू्ररता की थी, या उसे तंग किया था वहा ऐसी मृत्यु को दहेज मृत्यु कहा जाएगा, और ऐसा पति या नातेदार उसकी मृत्यु कारित करने वाला समझा जाएगा ।
स्पष्टीकरण :
इस उपधारा के प्रयोजानों के लिए दहेज का वही अर्थ है जो दहेज प्रतिषेध अधिनियम १९६१ (१९६१ का २८) की धारा २ में है ।
२) जो कोई दहेज मृत्यु कारित करेगा वह कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी ।