भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ७३ :
अनुज्ञा के बिना न्यायालयं की कार्यवाहियों से संबंधित किसी मामले का मुद्रण या प्रकाशन करना :
धारा : ७३
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : न्यायालय की पूर्व अनुज्ञा के बिना कार्यवाही का मुद्रन या प्रकाशन ।
दण्ड : दो साल के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई धारा ७२ में निर्दिष्ट किसी अपराध की बाबत किसी न्यायालय के समक्ष किसी कार्यवाही के संबंध में कोई बात, उस न्यायालय की पूर्व अनुज्ञा के बिना मुद्रित या प्रकाशित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
स्पष्टीकरण :
किसी उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायलय के निर्णय का मुद्रण या प्रकाशन इस धारा के अर्थ में अपराध कोटि में नहीं आता है ।