भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ३३९ :
धारा ३३७ या ३३८ में वर्णित दस्तावेज को, उसे कूटरचित जानते हुए और उसे असली के रुप में लाने का आशय रखते हुए, कब्जे में रखना :
धारा : ३३९
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी दस्तावेज को, उसे कूटरचित जानते हुए इस आशय से कि उसे असली के रुप में उपयोग में लाया जाए अपने कब्जे में रखना, आदि वह दस्तावेज भारतीय दंड संहिता की धारा ३३७ में वर्णित भांति की हो ।
दण्ड : सात वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
———
अपराध : यदि वह दस्तावेज भारतीय दंड संहिता की धारा ३३८ में वर्णित भांति की हो ।
दण्ड : आजीवन कारावास ,या सात वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
———
जो कोई किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को, उसे कूटरचित जानते हुए और यह आशय रखते हुए कि वह कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रुप में उपयोग में लायी जाएगी, उपने कब्जे में रखेगा, यदि वह दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख इस संहिता की धारा ३३७ में वर्णित भांति का हो, तो वह दोनों में से भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा, तथा यदि वह दस्तावेज धारा ३३८ में वर्णित भांति की हो तो वह आजीवन कारावास से, या वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।