भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ३३८ :
मूल्यवान प्रतिभूति, विल, इत्यादि की कूटरचना :
धारा : ३३८
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : मूल्यवान प्रतिभूति, विल या किसी मूल्यवान प्रतिभूति की रचना या अन्तरण के प्राधिकार, अथवा किसी धन आदि को प्राप्त करने के प्राधिकार की कूटरचना ।
दण्ड : आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : जब मूल्यवान प्रतिभूति केन्द्रीय सरकार का वचनपत्र है ।
दण्ड : आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी ऐसा दस्तावेज की, जिसका कोई मूल्यवान प्रतिभूति या विल या पुत्र के दत्तकग्रहण का प्राधिकार होना तात्पर्यित हो, अथवा जिसका किसी मूल्यवान प्रतिभूति की रचना या अन्तरण का, या उस पर के मूलधन, व्याज या लाभांश को प्राप्त करने का, या किसी धन, जंगम संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति को प्राप्त करने या परिदत्त करने का प्राधिकार होना तात्पर्यित हो, अथवा किसी दस्तावेज को जिसका धन दिए जाने की अभिस्वीकृति करने वाला, निस्तारणपत्र या रसीद होना, या किसी जंगम संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति के परिदान के लिए निस्तारणपत्र या रसीद होना तात्पर्यित हो, कूटरचना करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।