भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ३३७ :
न्यायालय के अभिलेख की या लोक रजिस्टर आदि की कूटरचना :
धारा : ३३७
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : न्यायालय के अभिलेख या जन्मों के रजिस्टर आदि की, जो लोक सेवक द्वारा रखा जाता है, कूटरचना ।
दण्ड : सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो काई ऐसी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की, जिसका कि किसी न्यायालय का या न्यायालय में अभिलेख या कार्यवाही होना, या मतदाता पहचान पत्र या आधार कार्ड सहित जारी एक पहचान दस्तावेज या जन्म, बाप्तिसम, विवाह या अन्त्येष्टिका रजिस्टर, या लोक सेवक द्वारा लोक सेवक के नाते रखा गया रजिस्टर होना तात्पर्यित हो, अथवा किसी प्रमाणपत्र की या ऐसी दस्तावेज की जिसके बारे में यह तात्पर्यित हो की वह किसी लोक सेवक द्वारा जिसकी पदीय हैसियत में रची गई है, या जो किसी वाद को संस्थित करने या वाद में प्रतिरक्षा करने का, उसमें कोई कार्यवाही करने का, या दावा संस्वीकृत कर लेने का, प्राधिकार हो या कोई मुख्तारनामा हो, कूटरचना करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से दण्डित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए रजिस्टर में कोई सूची, आंकडा या किसी प्रविष्टि का अभिलेख शामिल है जो इलेक्ट्रॉनिक रुप में रखा गया है , जैसा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, २००० ( २००० का २१ ) की धारा २ की उपधारा (१) के खण्ड (द) में है ।