भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ३३६ :
कूटरचना :
धारा : ३३६ (२)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कूटरचना ।
दण्ड : दो वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनो ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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धारा : ३३६ (३)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : छल के प्रयोजन के लिए कूटरचना ।
दण्ड : सात वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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धारा : ३३६ (४)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति की ख्याति को अपहानि पहुंचाने के प्रयोजन से या यह संभाव्य जानते हुए कि इस प्रयोजन से उसका उपयोग किया जाएगा, की गई कूटरचना ।
दण्ड : तीन वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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१) जो कोई किसी मिथ्या दस्तावेज या मिथ्या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख अथवा दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख के किसी भाग को इस आशय से रचता है कि लोक को या किसी व्यक्ती को नुकसान या क्षति कारित की जाए, या किसी दावे या हक का समर्थन किया जाए, या यह कारित किया जाए कि कोई व्यक्ती संपत्ति अलग करे या कोई अभिव्यक्त या विवक्षित संविदा करे या इस आशय से रचता है कि कपट करे, या कपट किया जा सके, वह कूटरचना करता है ।
२) जो कोई कूटरचना करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
३) जो कोई कूटरचना इस आशा से करेगा कि वह दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख जिसकी कूटरचना की जाती है, छल के प्रयोजन से उपयोग में लाई जाएगी, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
४) जो कोई कूटरचना इस आशय से करेगा कि वह दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख जिसकी कूट रचना की जाती है, किसी पक्षकार की ख्याति की अपहानि करेगी, या यह संभाव्य जानते हुए करेगा कि इस प्रयोजन से उसका उपयोग किया जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।