Bns 2023 धारा ३३० : गृह अतिचार (अनधिकार प्रवेश) और गृह भेदन :

भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ३३० :
गृह अतिचार (अनधिकार प्रवेश) और गृह भेदन :
१) जो कोई यह पूर्वावधानी बरतने के पश्चात् गृह अतिचार करता है कि ऐसे गृह अतिचार को किसी ऐसे व्यक्ती से छिपाया जाए जिसे उस निर्माण, तम्बू या जलयान में से, अतिचार का विषय है, अतिचारी को अपवर्जित करने या बाहर कर देने का अधिकार है, वह प्रच्छन्न (गुप्त) गृह अतिचार करता है, यह कहा जाता है ।
२) जो व्यक्ती गृह अतिचार करता है, वह गृह भेदन करता है, यह कहा जाता है, यदि वह उस गृह में या उसके किसी भाग में एतस्मिन् (इसमे इसके) पश्चात वर्णित छह तरीकों में से किसी तरीके से प्रवेश करता है अथवा यदि वह उस गृह में या उसके किसी भाग में अपराध करने के प्रयोजन से होते हुए, या वहां अपराध कर चुकने पर, उस गृह से या उसके किसी भाग से ऐसे छह तरीकों में से किसी तरीके से बाहर निकलता है, अर्थात :-
क) यदि वह ऐसे रास्ते में प्रवेश करता है या बाहर निकलता है जो स्वयं उसने या उस गृह अतिचार के किसी दुष्प्रेरक ने वह गृह अतिचार करने के लिए बनाया है;
ख) यदि वह किसी ऐसे रास्ते से, जो उससे या उस अपराध के दुष्प्रेरक से भिन्न किसी व्यक्ती द्वारा मानव प्रवेश के लिए आशयित नहीं है, या किसी ऐसे रास्ते से, जिस तक की वह किसी दीवार या निर्माण पर सीढी द्वारा या अन्यथा चढकर पहुंचा है, प्रवेश करता है या बाहर निकलता है;
ग) यदि वह किसी ऐसा रास्ते से प्रवेश करता है या बाहर निकलता है जिसको उसने या उस गृह अतिचार के किसी दुष्प्रेरक ने वह गृह अतिचार करने के लिए किसी ऐसे साधन द्वारा खोला है, जिसके द्वारा उस रास्ते का खोला जाना उस गृह के अधिभोगी द्वारा आशयित नहीं था;
घ) यदि उस गृह अतिचार को करने के लिए, या गृह अतिचार के पश्चात् उस गृह से निकल जाने के लिए वह किसी ताले को खोलकर प्रवेश करता या बाहर निकलता है ;
ङ) यदि वह आपराधिक बल के प्रयोग या हमले या किसी व्यक्ी पर हमला करने की धमकी द्वारा अपना प्रवेश करता है या प्रस्थान करता है ;
च) यदि वह किसी ऐसे रास्ते से प्रवेश करता है या बाहर निकलता है जिसके बारें में वह जानता है कि वह ऐसे प्रवेश या प्रस्थान को रोकने के लिए बंद किया हुआ है और अपने द्वारा या उस गृह अतिचार के दुष्प्रेरक द्वारा खोला गया है ।
स्पष्टीकरण :
कोई उपगृह या निर्माण जो किसी गृह के साथ साथ अधिभोग में है, और जिसके और ऐसे गृह के बीच आने जाने का अव्यवहित भीतरी रास्ता है, इस धारा के अन्तर्ग त उस गृह का भाग है ।
दृष्टांत :
क) (य) के गृह की दीवार में छेद करके और उस छेद में से अपना हाथ डालकर (क) गृह-अतिचार करता है । यह गृह-भेदन है ।
ख) (क) तल्लों बीच की बारी में से रेंग कर एक पोत में प्रवेश करने द्वारा गृह-अतिचार करता है । यह गृह-भेदन है ।
ग) (य) के गृह में एक खिडकी से प्रवेश करने द्वारा (क) गृह-अतिचार करता है । यह गृह-भेदन है ।
घ) एक बंद द्वार को खोलकर (य) के गृह में उस द्वार से प्रवेश करने द्वारा (क) गृह-अतिचार करता है । यह गृह-भेदन है ।
ङ) (य) के गृह में द्वार के छेद में से तार डालकर सिटकनी को ऊपर उठाकर उस द्वार में प्रवेश करने द्वारा (क) गृह-अतिचार करता है । यह गृह-भेदन है ।
च) (क) को (य) के गृह के द्वार की चाबी मिल जाती है, जो (य) से खो गई थी, और वह उस चाबी से द्वार खोल कर (य) के गृह में प्रवेश करने द्वारा गृह-अतिचार करता है । यह गृह-भेदन है ।
छ) (य) अपनी ड्योढी में खडा है । (य) को धक्के से गिराकर (क) उस गृह में बलात् प्रवेश करने द्वारा गृह-अतिचार करता है । यह गृह-भेदन है ।
ज) (य), जो (म) का दरबान है (म) की ड्योढी में खडा है । (य) को मारने की धमकी देकर (क) उसको विरोध करने से भयोपरत करके उस गृह में प्रवेश करने द्वारा गृह-अतिचार करता है । यह गृह-भेदन है ।

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