भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ३२२ :
अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या (झुठा) कथन अन्तर्विष्ट है, बेईमानी से या कपटपूर्वक निष्पादन :
धारा : ३२२
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : अन्तरण के ऐसे विलेख का, जिसमें प्रतिफल के संबंध में मिथ्या कथन अंतर्विष्ट है, कपटपूर्वक निष्पादन ।
दण्ड : तीन वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनो ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : उससे प्रभावित व्यक्ति ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई बेइमानी से या कपटपूर्वक किसी ऐसे विलेख को हस्ताक्षरित करेगा, निष्पादित करेगा, या उसका पक्षकार बनेगा, जिससे किसी संपत्ति का, या उसमें के किसी हित का, अन्तरित किया जाना, या किसी भार के अधीन किया जाना, तात्पर्यित है, और जिसमें ऐसे अन्तरण या भार के प्रतिफल से संबंधित या उस व्यक्ती या उन व्यक्तीयों से संबंधित, जिसके या जिनके उपयोग या फायदे के लिए उसका प्रवर्तित होना वास्तव में आशयित है, कोई मिथ्या कथन अंतर्विष्ट है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।