भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ३१ :
सद्भावपूर्वक दी गई संसुचना (दो या अधिक व्यक्तियों या स्थानों को सूचना देने के साधन) :
सद्भावपूर्वक दी गई संसुचना उस अपहानि के कारण अपराध नहीं है, जो उस व्यक्ति को हो जिसे वह दी गई है, यदि वह उस व्यक्ती के फायदे के लिए दी गई हो ।
दृष्टांत :
(क) एक शल्यचिकित्सक, एक रोगी को सद्भावपूर्वक यह संसूचित करता है कि उसकी राय में वह जीवित नहीं रह सकता । इस आघात के परिणामस्वरुप उस रोगी की मृत्यु हो जाती है । (क) ने कोई अपराध नहीं किया है, यद्यपि वह जानता था कि उस संसूचना से उस रोगी की मृत्यु कारित होना संभाव्य है ।