भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ३०२ :
धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के विमर्शित (जानबूझकर) आशय से शब्द उच्चारित करना आदी :
धारा : ३०२
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के विमर्शित (जानबूझकर) आशय से शब्द उच्चारित करना आदी ।
दण्ड : एक वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचना आशयित है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी व्यक्ती की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के विमर्शित (जानबूझकर) आशय से श्रवणगोचरता में कोई शब्द उच्चारित करेगा या कोई ध्वनि करेगा या उसकी दृष्टिगोचरता में कोई अंगविक्षेप करेगा, या कोई वस्तु रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।