भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २९१ :
जिवजन्तु (पशू) के संबंध में उपेक्षापूर्ण (लापरवाही) आचरण :
धारा : २९१
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : अपने कब्जे में के किसी जीवजन्तु के संबंध में ऐसी व्यवस्था करने का किसी व्यक्ति द्वारा लोप जिससे ऐसे जीवजन्तु से मानव जीवन को संकट या घोर उपहति के संकट से बचाव हो ।
दण्ड : छह मास के लिए कारावास, या पांच हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई अपने कब्जे में के किसी जीवजन्तु (पशू) के संबंध में ऐसी व्यवस्था करने का, जो ऐसे जीवजन्तु (पशू) से मानव जीवन को किसी अधिसंभाव्य संकट या घोर उपहति के किसी अधिसंभाव्य संकट से बचाने के लिए पर्याप्त हो, जानते हुए या उपेक्षापूर्वक लोप करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या पाच हजार रुपये तक के जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।