भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २८ :
सम्मति, जिसके संबंध में यह ज्ञात हो कि वह भय या भ्रम के अधीन दी गई है :
कोई सम्मति ऐसी सम्मति नहीं है जैसी इस संहिता की किसी धारा से आशयित है,-
(a) क) यदि वह सम्मति किसी व्यक्ती ने क्षति या भय के अधीन या तथ्य के भ्रम के अधिन दी हो और यदि कार्य करने वाला व्यक्ती यह जानता हो या उसे विश्वास करने का कारण हो कि ऐसे भय या भ्रम के परिणामस्वरुप वह सम्मति दी गई थी ; अथवा
(b) ख) यदि वह सम्मति ऐसे व्यक्ती ने दी हो जो चित्तविकृति या मत्तता के कारण उस बात की या कार्य की, जिसके लिए वह अपनी सम्मति देता है, प्रकृति और परिणाम को समझने में असमर्थ है; अथवा
(c) ग) जब तक की संदर्भ से तत्प्रतिकूल प्रतीत न हो, यदि वह सम्मति ऐसे व्यक्ती ने दी हो जो बारह वर्ष से कम आयु का है ।