भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २४ :
किया गया अपराध जिसमें विशेष आशय या ज्ञान का होना अपेक्षित है वह उस व्यक्ती द्वारा किया हो जो मत्तता में है :
जहां कि कोई किया गया कोइ कार्य अपराध नहीं होता जब तक कि वह किसी विशिष्ट ज्ञान या आशय से न किया गया हो, उन दशाऔं में कोई व्यक्ती जो वह कार्य मत्तता की हालत में करता है, इस प्रकार बरते जाने के दायित्त्व के अधीन होगा, यदी वह मत्तता में न होता मानो उसे वही ज्ञान था, जब तक कि वह चीज, जिससे उसे मत्तता हुई थी, उसे उसके ज्ञान के बिना या उसकी इच्छा विरुद्ध न दी गई हो ।