Bns 2023 धारा २४८ : क्षति करने के आशय से अपराध का मिथ्या आरोप करना :

भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २४८ :
क्षति (नुकसान / हानी) करने के आशय से अपराध का मिथ्या आरोप करना :
धारा : २४८ (क)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : क्षति करने के आशय से अपराध का मिथ्या आरोप ।
दण्ड : पांच वर्ष के लिए कारावास, या दो लाख रुपए जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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धारा : २४८ (ख)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : यदि ऐसी दण्डिक कार्यवाही मृत्यु, आजीवन कारावास या दस वर्ष या उससे अधिक के कारावास से दण्डनीय अपराध के मिथ्या आरोप संस्थित की जाए ।
दण्ड : दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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जो कोई किसी व्यक्ति को यह जानते हुए कि उस व्यक्ती के विरुद्ध ऐसी कार्यवाही या आरोप के लिए कोई न्यायसंगत या विधिपूर्ण आधार नहीं है, क्षति (नुकसान / हानी) कारित करने के आशय से उस व्यक्ती के विरुद्ध कोई दाण्डिक कार्यवाही संस्थित करेगा या करवाएगा या उस व्यक्ती पर मिथ्या आरोप लगाएगा कि उसने अपराध किया है,-
क) वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या दो लाख रुपए तक के जुर्माने से, या दानों से दण्डित किया जाएगा;
ख) यदि ऐसी दण्डिक कार्यवाही मृत्यु, आजीवन कारावास या दस वर्ष या उससे अधिक के कारावास से दण्डनीय अपराध के मिथ्या आरोप संस्थित की जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।

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