भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २४६ :
न्यायालय में बेइमानी से मिथ्या दावा करना :
धारा : २४६
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : न्यायालय में मिथ्या दावा ।
दण्ड : दो वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
———
जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से या किसी व्यक्ती को क्षति (नुकसान) या क्षोभ कारित करने के आशय से न्यायालय में कोई ऐसा दावा करेगा, जिसका मिथ्या होना वह जानता हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।