भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २४२ :
वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरुपण :
धारा : २४२
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : वाद या आपराधिक अभियोजन में कोई कार्य या कार्यवाही करने या जमानतदार या प्रतिभू बनने के प्रयोजन के लिए छद्म प्रतिरुपण ।
दण्ड : तीन वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी दुसरे का मिथ्या प्रतिरुपण करेगा और ऐसे धरे हुए रुप में किसी वाद या आपराधिक अभियोजन में कोई स्वीकृति या कथन करेगा, या दावे की संस्वीकृति करेगा, या कोई आदेशि का निकलवाएगा या जमानतदार या प्रतिभू बनेगा, या कोई भी अन्य कार्य करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।