भारतीय न्याय संहिता २०२३
अध्याय १४ :
मिथ्या साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराधों के विषय में :
धारा २२७ :
मिथ्या साक्ष देना :
जो कोई शपथ द्वारा या विधि के किसी अभिव्यक्त उपबंध द्वारा सत्य कथन करने के लिए या किसी विषयी पर घोषणा करने के लिए वैध रुप से आबद्ध (बंधा हुआ) होते हुए, ऐसा कोई कथन करेगा, जो मिथ्या है, और या तो जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है, या जिसके सत्य हो का विश्वास नहीं है, वह मिथ्या साक्ष्य देता है, यह कहा जाता है ।
स्पष्टीकरण १ :
कोई कथन चाहे वह मौखिक हो, या अन्यथा किया गया है, इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत आता है ।
स्पष्टीकरण २ :
अनुप्रमाणित करने वाले व्यक्ती के अपने विश्वास के बारे में मिथ्या कथन इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत आता है और कोई व्यक्ती यह कहने से कि उसे उस बात का विश्वास है, जिस बात का उसे विश्वास नहीं है तथा यह कहने से कि वह उस बात को जानता है, जिस बात को वह नहीं जानता, मिथ्या साथ देने का दोषी हो सकेगा ।
दृष्टांत :
क) (क) एक न्यायसंगत दावे के समर्थन में, जो (य) के विरुद्ध (ख) के एक हजार रुपए के लिए है, विचारण के समय शपथ पर मिथ्या कथन करता है कि उसने (य) को (ख) के दावे का न्यायसंगत होना स्वीकार करते हुए सुना था । (क) ने मिथ्या साक्ष्य दिया है ।
ख) (क) सत्य कथन करने के लिए शपथ द्वारा आबद्ध होते हुए कथन करता है कि वह अमुक हस्ताक्षर के संबंध में यह विश्वास करता है कि वह (य) का हस्तलेख है, जबकि वह उसके (य) का हस्तलेख होने का विश्वास नहीं करता है । यहां (क) वह कथन करता है, जिसका मिथ्या होना वह जानता है, और इसलिए मिथ्या साक्ष्य देता है ।
ग) (य) के हस्तलेख के साधारण स्वरुप को जानते हुए (क) यह कथन करता है कि अमुक हस्ताक्षर के संबंध में उसका यह विश्वास है कि वह (य) का हस्तलेख है; (क) उसके ऐसा होने का विश्वास सद्भावर्पूक करता है । यहां, (क) का कथन केवल अपने विश्वास के संबंध में है, और उसके विश्वास के संबंध में सत्य है, और इसलिए, यद्यपि वह हस्ताक्षर (य) का हस्तलेख न भी हो, (क) ने मिथ्या साक्ष्य नहीं दिया है ।
घ) (क) शपथ द्वारा सत्य कथन करने के लिए आबद्ध होते हुए यह कथन करता है कि वह यह जानता है कि (य) एक विशिष्ट दिन एक विशिष्ट स्थान में था, जबकि वह उस विषय में कुछ भी नहीं जानता । (क) मिथ्या साक्ष्य देता है, चाहे बतलाए हुए दिन (य) उस स्थान पर रहा हो या नहीं ।
ड) (क) एक दुभाषिया या अनुवादक किसी कथन या दस्तावेज के, जिसका यथार्थ भाषान्तरण या अनुवाद करने के लिए वह शपथ द्वारा आबद्ध है, ऐसे भाषान्तरण या अनुवाद को, जो यथार्थ भाषान्तरण या अनुवाद नहीं है और जिसके यथार्थ होने का वह विश्वास नहीं करता, यथार्थ भाषान्तरण या अनुवादद के रुप में देता या प्रमाणित करता है । (क) ने मिथ्या साक्ष्य दिया है ।