भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा १८६ :
बनावटी स्टांपों का प्रतिषेध (मनाई / रोक) :
धारा : १८६
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : बनावटी स्टाम्प ।
दण्ड : दो सौ रुपए तक का जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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१) जो कोई किसी बनावटी स्टाम्प को –
क) बनाएगा, जानते हुए चलाएगा, उसका व्यौहार करेगा या उसका विक्रय करेगा या उसे डाक संबंधी किसी प्रयोजन के लिए जानते हुए उपयोग में लाएगा, अथवा
ख) किसी विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना अपने कब्जे में रखेगा, अथवा
ग) बनाने की किसी डाई, पट्टी, उपकरण या सामग्रियों को बनाएगा, या किसी विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना अपने कब्जे में रखेगा, वह जुर्माने से, जो दो सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा ।
२) कोई ऐसा स्टाम्प, कोई बनावटी स्टाम्प, बनाने की डाई, पट्टी, उपकरण या सामग्रियां, जो किसी व्यक्ती के कब्जे में हो, अभिगृहीत की जा सकेंगी, और अभिगृहीत की जाए, तो समपऱ्हत कर ली जाएगी ।
३) इस धारा में बनावटी स्टाम्प से ऐसा कोई स्टाम्प अभिप्रेत है, जिससे यह मिथ्या रुप से तात्पर्यित हो की सरकार ने डाक महसूल की दर से द्योतन के प्रयोजन से उसे प्रचालित किया है या जो सरकार द्वारा उस प्रयोजन से प्रचालित किसी स्टाम्प की, कागज पर या अन्यथा, अनुलिपि, अनुकृति या समरुपण हो ।
४) इस धारा में और धारा १७८ से लेकर धारा १८१ (दोनो सहित) तथा धारा १८३ से धारा १८५ तक (दोनों सहित) में भी, जिनमें या दोनों धाराए भी समाविष्ट है, सरकार शब्द के अन्तर्गेत, जब भी वह डाक महसूल की दर के द्योतन के प्रयोजन से प्रचालित किए गए किसी स्टाम्प के संसर्ग या निर्देशन में उपयोग किया गया है, धारा २ का खंड (१२) में किसी बात के होते हुए भी, वह या वे व्यक्ती समझे जाएंगे जो भारत के किसी भाग में या किसी विदेश में भी, कार्यपालिका सरकार का प्रशासन चलाने के लिए विधि द्वारा प्राधिकृत हो ।