भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा १५२ :
भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला कार्य :
धारा : १५२
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला कार्य ।
दण्ड : अजीवन कारावास और जुर्माना या सात वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय।
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जो कोई प्रयोजनपूर्वक या जानबूझकर, बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा, या दृश्यरुपण या इलैक्ट्रानिक संसूचना द्वारा या वित्तीय साधन के प्रयोग द्वारा या अन्यथा अलगाव या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक क्रियाकलापों को प्रदीप्त करता है या प्रदीप्त करने का प्रयास करता है या अलगाववादी क्रियाकलापों की भावना को बढावा देता है या भारत के संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है या ऐसे अपराध में सम्मिलित होता है या कारित करता है, वह आजीवन कारावास से, या ऐसे कारावास से जो सात वर्ष तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
स्पष्टीकरण :
इस धारा में निर्दिष्ट क्रियाकलाप प्रदीप्त किए बिना या प्रदीप्त करने के प्रयास के बिना विधिपूर्ण साधनों द्वारा उनको परिवर्तित कराने की दृष्टि से सरकार के उपायों या प्रशासनिक या अन्य क्रिया के प्रति अननुमोदन प्रकट करने वाली टिका-टिप्पणियां इस धारा के अधीन अपराध का गठन नहीं करती ।