भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा १४२ :
व्यपहरण या अपहरण किये व्यक्ती को सदोष छिपाना या परिरोध में रखना :
धारा : १४२
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : व्यपऱ्हत या अपहृत व्यक्ति को छिपाना या परिरोध में रखना ।
दण्ड : व्यपहरण या अपहरण के लिए दण्ड ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : वह न्यायालय जिसके द्वारा व्यपहरण या अपहरण विचारणीय है ।
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जो कोई यह जानते हुए कि कोई व्यक्ती व्यपहरण या अपहरण किया गया है, ऐसे व्यक्ती को सदोष छिपाएगा या परिरोध में रखेगा, वह उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा, जैसे मानो उसने उसी आशय या ज्ञान या प्रयोजन से ऐसे व्यक्ती का व्यपहरण या अपहरण किया हो जिससे उसने ऐसे व्यक्ती को छिपाया या परिरोध में निरुद्ध रखा है ।