भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा १३ :
पुर्व दोषसिद्धि के पश्चात् कतिपय (कुछ) अपराधों के लिए वर्धित (जादा/बढाकर) दण्ड :
जो कोई व्यक्ती भारत में के किसी न्यायालय द्वारा इस संहिता के अधाय १० या अध्याय १७ के अधीन तीन वर्ष या उससे अधिक अवधि के लिए दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए, दोषसिद्ध ठहराए जाने के पश्चात् १० और १७ इन दोनों अध्यायों में से किसी अध्याय के अधीन उतनी ही अवधि के लिए वैसे ही कारावास से दण्डनीय किसी अपराध का दोषी हो, तो वह हर ऐसे पश्चात्वर्ती अपराध के लिए आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डनीय होगा ।