भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा १३० :
हमला :
जो कोई, कोई अंगविक्षेप या कोई तैयारी इस आशय से करता है, या यह संभाव्य जानते हुए करता है कि ऐसे अंगविक्षेप या ऐसी तैयारी करने से किसी उपस्थित व्यक्ती को यह आशंका हो जाएगी कि जो वैसा अंगविक्षेप तैयारी करता है, वह उस व्यक्ती पर आपराधिक बल का प्रयोग करने ही वाला है, वह हमला करता है, यह कहा जाता है ।
स्पष्टीकरण :
केवल शब्द हमले की कोटि में नही आते, किन्तु जो शब्द कोई व्यक्ती प्रयोग करता है, वे उसके अंगविक्षेप या तैयारियों का ऐसा अर्थ दे सकते है जिससे वे अंगविक्षेप या तैयारियां हमले की कोटि में आ जाएं ।
दृष्टांत :
क) (य) पर अपना मुक्का (क) इस आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए हिलाता है कि उसके द्वारा (य) को यह विश्वास हो जाए कि (क), (य) को मारने वाला ही है । (क) ने हमला किया है ।
ख) (क) एक हिंस्त्र कुत्ते की मुखबन्धनी इस आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए खोलना आरंभ करता है कि उसके द्वारा (य) को यह विश्वास हो जाए कि वह (य) पर कुत्ते से आक्रमण कराने वाला है । (क) ने (य) पर हमला किया है ।
ग) (य) से यह कहते हुए कि मै तुम्हें पीटूंगा (क) एक छडी उठा लेता है । यहां यद्यपि (क) द्वारा प्रयोग में लाए गए शब्द किसी अवस्था में हमले की कोटि में नहीं आते और यद्यपि केवल अंगविक्षेप बनाना जिसके साथ अन्य परिस्थितियों को अभाव है, हमले की कोटि में न भी आए तथापि शब्दों द्वारा स्पष्टीकृत वह अंगविक्षेप हमले की कोटि में आ सकता है ।