भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ११९ :
सम्पत्ति उद्यापित (ऐठना, छिनना) करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया उपहती या घोर उपहति कारित करना :
धारा : ११९ (१)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : सम्पत्ति उद्दापित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना ।
दण्ड : दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेय ।
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धारा : ११९ (२)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : उपधारा (१) में निर्दिष्ट किसी प्रयोजन के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना ।
दण्ड : आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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१) जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया उपहति कारित करेगा कि उपहत व्यक्ती से, या उससे हितबद्द किसी व्यक्ती से, कोई संपत्ति या मुल्यवान प्रतिभूति उद्यापित की जाए, या उपहत व्यक्ती को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ती को कोई ऐसी बात या कार्य, जो ऐसी अवैध हो, या जिससे किसी अपराध का किया जाना सुकर होता हो, करने के लिए मजबूर किया जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
२) जो कोई उपधारा (१) में निर्दिष्ट किसी प्रयोजन के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, तो वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।