Bns 2023 धारा ११७ : स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना :

भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ११७ :
स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना :
धारा : ११७ (२)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : स्वेच्छया घोर उपहति कारित करना ।
दण्ड : सात वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसे उपहति कारित की गई है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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धारा : ११७ (३)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : यदि उपहति के परिणामस्वरुप स्थायी दिव्यांगता या सतत् शिथिल अवस्था होती है ।
दण्ड : कठोर कारावास, जो १० वर्ष से कम नहीं होगा, किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगा, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल से होगा ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायलय ।
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धारा : ११७ (४)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : पाच या अधिक व्यक्तिके के समुह द्वारा घोर उपहति कारित करना ।
दण्ड : सात वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायलय ।
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१) जो कोई स्वेच्छया उपहति कारित करता है, यदि वह उपहति, जिसे कारित करने का उसका आशय है या जिसे वह जानता है कि उसके द्वारा उसका किया जाना संभाव्य है घोर उपहति है और यदि वह उपहति, जो वह कारित करता है, यह घोर उपहति हो, तो वह स्वेच्छया घोर उपहति करता है, यह कहा जाता है ।
स्पष्टीकरण :
कोई व्यक्ती स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, यह नहीं कहा जाता है सिवाय जबकि वह घोर उपहति कारित करता है और घोर उपहति कारित करने का उसका आशय हो या घोर उपहति कारित होना संभाव्य जानता हो । किन्तु यदि वह यह आशय रखते हुए या यह संभाव्य जानते हुए कि वह किसी एक किस्म की घोर उपहति कारित कर दे वास्तव में दूसही ही किस्म की घोर उपहति कारित करता है तो वह स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, यह कहा जाता है ।
दृष्टांत :
(क) यह आशय रखते हुए या यह सम्भाव्य जानते हुए कि वह (य) के चेहरे को स्थायी रुप से विद्रुपित कर दे, (य) के चेहरे पर प्रहार करता है जिससे (य) का चेहरा स्थायी रुप से विद्रुपित तो नहीं होता, किन्तु जिससे (य) को बीस दिन तक तीव्र शारीरिक पीडा कारित होती है । (क) ने स्वेच्छया घोर उपहति की है ।
२) जो कोई धारा १२२ की उपधारा (२) में उपबंधित मामले के सिवाय स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
३) जो कोई उपधारा (१) के अधीन अपराध कारित करता है और ऐसे कारित करने के क्रम में किसी व्यक्ति को उपहति कारित करता है, जो उस व्यक्ति को स्थायी दिव्यांगता कारित करता है या सतत् शिथिल अवस्था में डाल देता है वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास से दंडनीय होगा जो दस वर्ष से कम नहीं होगा किन्तु आजीवन कारावास तक हो सकेगा, जिससे उस व्यक्ति के प्राकृतिक जीवन की शेष अवधि का कारावास अभिप्रते है ।
४) जहां पांच या अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा, सामान्य मति से कार्य करते हुए, किसी व्यक्ति को उसके मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समरुप आधार पर घोर उपहति कारित की जाती है, ऐसे समूह का प्रत्येक सदस्य घोर उपहति कारित करने के अपराध का दोषी होगा और दोनों में से किसी भांति के कारावास से दंडनीय होगा, जो सात वर्ष तक बढाया जा सकेगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा ।

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