भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा १०५ :
हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध के लिए दण्ड :
धारा : १०५
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : हत्या की कोटि में न आने वाला आराधिक मानववध, यदि वह कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है, मृत्यु आदि कारित करने के आशय से किया जाए ।
दण्ड : आजीवन कारावास से, या कारावास से जिसकी अवधि पांच साल से कम न होगी किन्तू दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माना।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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धारा : १०५
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु कारित करना सम्भाव्य है, किन्तु मृत्यु, आदि कारित करेने के आशय के बिना, किया जाए ।
दण्ड : आजीवन कारावास से, या कारावास से जिसकी अवधि पांच साल से कम न होगी किन्तू दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माना।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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जो कोई ऐसा आपराधिक मानव वध करेगा, जो हत्या की कोटि में नही आता हो, यदि वह कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है, मृत्यु या ऐसी शारिरिक क्षति (हानी), जिससे मृत्यु होना संभाव्य है, कारित करने के आशय से किया जाए, तो वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि पांच साल से कम न होगी किन्तू दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा; अथवा यदि वह कार्य इस ज्ञान के साथ कि उससे मृत्यु कारित करना संभाव्य है, किन्तु मृत्यु या ऐसी शारिरीक क्षति (हानी), जिससे मृत्यु कारित करना संभाव्य है, कारित करने के किसी आशय के बिना किया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से दण्डित किया जाएगा ।