भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा १६५ :
दस्तावेजों को पेश किया जाना :
१) किसी दस्तावेज को पेश करने के लिए समनित साक्षी, यदि वह उसके कब्जे में और शक्यधीन हो, ऐसे किसी आक्षेप के होने पर भी, जो उसे पेश करने या उसकी ग्राह्यता के बारे में हो, उसे न्यायालय में लाएगा :
परंतु ऐसे किसी आक्षेप की विधिमान्यता न्यायालय द्वारा विनिश्चित की जाएगी ।
२) न्यायालय, यदि वह ठीक समझे, उस दस्तावेज का, यदि वह राज्य की बातों से संबंधित न हो, निरीक्षण कर सकेगा, या अपने को उसकी ग्राह्यता अवधारित करने के योग्य बनाने के लिए अन्य साक्ष्य ले सकेगा ।
३) यदि ऐसे प्रयोजन के लिए किसी दस्तावेज का अनुवाद कराना आवश्यक हो तो न्यायालय, यदि वह ठिक समझे, अनुवादक को निर्देश दे सकेगा कि वह उसकी अन्तर्वस्तु को गुप्त रखे, सिवाय जबकि दस्तावेज को साक्ष्य में दिया जाना हो, तथा यदि अनुवादक ऐसे निर्देश की अवज्ञा करे, तो यह धारित किया जाएगा कि उसने भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा १९६ के अधीन अपराध किया है :
परंतु कोई न्यायालय, मंत्रियों और भारत के राष्ट्रपति के बीच किसी संसूचना को इसके समक्ष प्रस्तुत करने की अपेक्षा नहीं करेगा ।