भारतीय न्याय संहिता २०२३
अध्याय ४ :
दुष्प्रेरण, आपराधिक षड्यंत्र और प्रयास के विषय में :
दुष्प्रेरण के विषय में :
धारा ४५ :
किसी बात का दुष्प्रेरण (उकसाना) :
वह व्यक्ती किसी बात के किए जाने का दुष्प्रेरण (उकसाना) करता है, जो –
(a) क) उस बात को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है; अथवा
(b) ख) उस बात को करने के लिए किसी षडयंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्ती या व्यक्तीयों के साथ सम्मिलित होता है, यदि उस षडयंत्र के अनुसरण में, और उस बात को करने के उद्देश्य से, कोई कार्य या अवैध(विधी विरुद्ध) लोप घटित हो जाए; अथवा
(c) ग) उस बात के लिए किए जाने में किसी कार्य या अवैध(विधी विरुद्ध) लोप द्वारा साशय सहायता करता है ।
स्पष्टीकरण १ :
जो कोई व्यक्ति जानबू्झकर दुव्र्यपदेशन द्वारा, या तात्विक तथ्य, जिसे प्रकट करने के लिए वह आबद्ध है, जानबूझकर छिपाने द्वारा, स्वेच्छया किसी बात का किया जाना कारित या उपाप्त करता है अथवा कारित या उपाप्त करने का प्रयत्न करता है, वह उस बात का किया जाना उकसाता है, यह कहा जाता है ।
दृष्टांत :
(क) एक लोक आफिसर, न्यायालय के वारन्ट द्वारा (य) को पकडने के लिए प्राधिकृत है । (ख) उस तथ्य को जानते हुए और यह भी जानते हुए कि (ग), (य) नहीं है, (क) को जानबूझकर यह व्यपदिष्ट करता है कि (ग), (य) है, और एतद्द्वारा साशय (क) से (य) को पकडवाता है । यहां (ख), (ग) पकडे जाने का उकसाने द्वारा दुष्प्रेरण करता है ।
स्पष्टीकरण २ :
जो कोई किसी कार्य के किए जाने से पूर्व या किए जाने के समय, उस कार्य के किए जाने को सुकर बनाने के लिए कोई बात या कार्य करता है और इसीप्रकार उसके किए जाने को सुकर बनाता है वह उस कार्य के किए जाने में सहायता करता है, यह कहा जाता है ।