Bsa धारा १०८ : यह साबित करने का भार कि अभियुक्त का मामला अपवादों के अन्तर्गत आता है :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा १०८ :
यह साबित करने का भार कि अभियुक्त का मामला अपवादों के अन्तर्गत आता है :
जबकि कोई व्यक्ति किसी अपराध का अभियुक्त है, तब उन परिस्थितियों के अस्तित्व को साबित करने का भार, जो उस मामले को भारतीय न्याय संहिता २०२३ के साधारण अपवादों में से किसी के अन्तर्गत या उसी संहिता के किसी अन्य भाग में, या उस अपराध की परिभाषा करने वाली किसी विधि में, अन्तर्विष्ट किसी विशेष अपवाद या परन्तुक के अन्तर्गत कर देती है, उस व्यक्ती पर है और न्यायालय ऐसी परिस्थितियों के अभाव की उपधारणा करेगा ।
दृष्टांत :
(a) क) हत्या का अभियुक्त, (ऐ) अभिकथित करता है कि वह चित्त-विकृति के कारण उस कार्य की प्रकृति नहीं जानता था । सबुत का भार (ऐ) पर है ।
(b) ख) हत्या का अभियुक्त, (ऐ), अभिकथित करता है कि वह गंभीर और अचानक प्रकोपन के कारण आत्मनियंत्रण की शक्ति से वंचित हो गया था । सबूत का भार (ऐ) पर है ।
(c) ग) भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा ११७ उपबंध करती है कि जो कोई उस दशा के सिवाय जिसके लिए धारा १२२ की उपधारा (२) में उपबंध है, स्वेच्छया घोर उपहति करेगा, वह अमुक दण्डों से दण्डनीय होगा । (ऐ) पर स्वेच्छया घोर उपहति कारित करने का, धारा ११७ के अधीन आरोप है । इस मामले को उक्त धारा १२२ की उपधारा (२) के अधीन लाने वाली परिस्थितियों को साबित करने का भार ऐ पर है ।

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