भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा ९६ :
संदिग्धार्थ दस्तावेज को स्पष्ट करने या उसका संशोधन करने के साक्ष्य का अपवर्जन (रोकना / हटाया जाना) :
जबकि किसी दस्तावेज में प्रयुक्त भाषा देखते ही संदिग्धार्थ या त्रुटिपूर्ण है, तब उन तथ्यों का साक्ष्य नहीं दिया जा सकेगा, जो उनका अर्थ दर्शित या उसकी त्रुटियों की पूर्ति कर दें ।
दृष्टांत :
(a) क) (बी) को (ऐ) १००००० रुपयों या १५०००० रुपयों में एक घोडा बेचने का लिखित करार करता है । यह दर्शित करने के लिए कि कौन-सा मूल्य दिया जाना था, साक्ष्य नहीं दिया जा सकता है ।
(b) ख) किसी विलेख में रिक्त स्थान है । उन तथ्यों का साक्ष्य नहीं दिया जा सकता जो यह दर्शित करते हों कि उनकी किस प्रकार पूर्ति अभिप्रेत थी ।