Bsa धारा ५७ : प्राथमिक साक्ष्य :

भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा ५७ :
प्राथमिक साक्ष्य :
प्राथमिक साक्ष्य से न्यायालय के निरीक्षण के लिए पेश की गई दस्तावेज स्वयं अभिप्रेत है ।
स्पष्टीकरण १ :
जहाँ कि कोई दस्तावेज कई मूल प्रतियों में निष्पादित है, वहाँ हर एक मूल प्रति उस दस्तावेज का प्राथमिक साक्ष्य है ।
स्पष्टीकरण २ :
जहाँ कि कोई दस्तावेज प्रतिलेख (दूसरी प्रति का समरुपी भाग ) में निष्पादित है और हर एक प्रतिलेख पक्षकारों में से केवल एक पक्षकार या कुछ पक्षकारों द्वारा निष्पादित किया गया है, वहाँ हर एक प्रतिलेख उन पक्षकारों के विरुद्ध, जिन्होंने उसका निष्पादन किया है, प्राथमिक साक्ष्य है ।
स्पष्टीकरण ३ :
जहाँ कि अनेक दस्तावेजें एकरुपात्मक प्रक्रिया द्वारा बनाई गई है जैसा कि मुद्रण, शिलामुद्रर या फोटो चित्रण में होता है, वहाँ उनमें से हर एक शेष सबकी अन्तर्वस्तु का प्राथमिक साक्ष्य है, किन्तु जहाँ कि वे सब किसी सामान्य मूल की प्रतियाँ है वहाँ वे मलू की अन्तर्वस्तु का प्राथमिक साक्ष्य नहीं है ।
स्पष्टीकरण ४ :
जहा कोई डिजिटल अभिलेख सृजित या भंडारित किया जाता है और ऐसा भंडारण एकसाथ या पश्चातवर्ती रुप से अनेक फाइलों में किया जाता है, उनमें से हर एक फाइल प्राथमिक साक्ष्य है ।
स्पष्टीकरण ५ :
जहां कोई इलैक्ट्रानिक या डिजिटल अभिलेख समुचित अभिरक्षा से प्रस्तुत किया जाता है, ऐसा इलैक्ट्रानिक और डिजिटल अभिलेख प्राथमिक साक्ष्य है, जब तक उस पर आक्षेप न किया जाए ।
स्पष्टीकरण ६ :
जहां किसी वीडियो अभिलेखन को इलैक्ट्रानिकी प्ररुप में भंडारित किया जाता है और किसी अन्य व्यक्ति को पारेषित या प्रसारित या अंतरित किया जाता है तो हर एक भंडारित अभिलेखन प्राथमिक साक्ष्य है ।
स्पष्टीकरण ७ :
जहां किसी इलैक्ट्रानिकी या डिजिटल अभिलेख को एक से अधिक भंडारण स्थान पर किसी कंप्युटर संसाधन में भंडारित किया जाता है, ऐसा प्रत्येक स्वचालित भंडारण, जिसके अंतर्गत अस्थायी फाइलें है, प्राथमिक साक्ष्य है ।
दृष्टांत :
यह दर्शित किया जाता है कि एक ही समय एक ही मूल से मुद्रित अनेक प्लेकार्ड किसी व्यक्ति के कब्जे में रखे है । इन प्लेकार्डों में से कोई भी एक अन्य किसी की भी अन्तर्वस्तु का प्राथमिक साक्ष्य है, किन्तु उनमें से कोई भी मूल की अंतर्वस्तु का प्राथमिक साक्ष्य नहीं है ।

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