भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३
धारा १६ :
स्वीकृति – कार्यवाही के पक्षकार या उसके अभिकर्ता द्वारा :
१) वे कथन स्वीकृतियाँ है, जिन्हें कार्यवाही के किसी पक्षकार ने किया हो, या ऐसे किसी पक्षकार के ऐसे किसी अभिकर्ता ने किया हो जिसे मामले की परिस्थितियों में न्यायालय उन कथनों को करने के लिए उस पक्षकार द्वारा अभिव्यक्त या विवक्षित रुप से प्राधिकृत किया हुआ मानता है ।
२) वे कथन स्वीकृतियां है , जो –
एक) वाद के ऐसे पक्षकारों द्वारा, जो प्रतिनिधिक हैसियत में वाद ला रहे हों या जिन पर प्रतिनिधिक हैसियत में वाद लाया जा रहा हो, जब तक कि वे उस समय न किए गए हो जबकि उनको करने वाला पक्षकार वैसी हैसियत धारण करता था, स्वीकृतियां नहीं है; या
दो) (a) क) ऐसे व्यक्तियों द्वारा किए गए है, जिनका कार्यवाही की विषयवस्तु में कोई साम्पत्तिक या धन संबंधी हित है और जो इस प्रकार हितबद्ध व्यक्तियों की हैसियत में वह कथन करते है , या
(b) ख) ऐसे व्यक्तियों द्वारा किए गए है, जिनसे वाद के पक्षकारों का वाद की विषयवस्तु में अपना हित व्युत्पन्न (प्राप्त करना) हुआ है,
यदि वे कथन उन्हें करने वाले व्यक्तियों के हित के चालू रहने के दौरान में किए गए है ।