भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ५११ :
निष्कर्ष या दण्डादेश कब गलती, लोप या अनियमितता के कारण उलटने योग्य होगा :
१) इसमें इसके पूर्व अन्तर्विष्ट उपबंधो के अधीन यह है कि सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालय द्वारा पारित कोई निष्कर्ष, दण्डादेश या आदेश विचारण के पूर्व या दौरान, परिवाद, समन, वारण्ट, उद्घोषणा, आदेश, निर्णय, या अन्य कार्यवाही में हुई या इस संहिता के अधीन किसी जाँच या अन्य कार्यवाही में हुई किसी गलती, लोप या अनियमितता या अभियोजन के लिए मंजूरी में हुई किसी गलती या अनियमितता के कारण अपील, पुष्टीकरण या पुनरीक्षण न्यायालय द्वारा तब तक न तो उलटा जाएगा और न परिवर्तित किया जाएगा जब तक न्यायालय की यह राय नहीं है कि उसके कारण वस्तुत: न्याय नहीं हो पाया है ।
२) यह अवधारित करने में कि क्या इस संहिता के अधीन किसी कार्यवाही में किसी गलती, लोप या अनियमितता या अभियोजन के लिए मंजूरी में हुई किसी गलती या अनियमितता के कारण न्याय नहीं हो पाया है न्यायालय इस बात को ध्यान में रखेगा कि क्या वह आपत्ति कार्यवाही के किसी पूर्वतर प्रक्रम में उठायी जा सकती थी और उठायी जानी चाहिए थी ।