Bnss धारा ४४३ : उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण के मामलों को वापर लेने या अंतरित करने की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ४४३ :
उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण के मामलों को वापर लेने या अंतरित करने की शक्ति :
१) जब एक ही विचारण में दोषसिद्ध एक या अधिक व्यक्ति पुनरिक्षण के लिए आवेदन उच्च न्यायालय को करते है और उसी विचारण में दोषसिद्ध कोई अन्य व्यक्ति पुनरिक्षण के लिए आवेदन सेशन न्यायाधीश को करता है तब उच्च न्यायालय, पक्षकारों की सुविधा और अन्तग्र्रस्त प्रश्नों के महत्व को ध्यान में रखते हुए यह विनिश्चय करेगा कि उन दोनों में से कौन -सा न्यायालय पुनरीक्षण के लिए आवेदनों को अंतिम रुप से निपटाएगा और जब उच्च न्यायालय यह विनिश्चय करता है कि पुनरीक्षण के लिए सभी आवेदन उसी के द्वारा निपटाए जाने चाहिए तब उच्च न्यायालय यह निदेश देगा कि सेशन न्यायाधीश के समक्ष लंबित पुनरिक्षण के लिए आवेदन उसे अन्तरित कर दिये जाएँ और जहाँ उच्च न्यायालय यह विनिश्चय करता है कि पुनरिक्षण के ओवेदन उसके द्वारा निपटाए जाने आवश्यक नहीं है वहाँ यह निदेश देगा कि उसे किए गए पुनरिक्षण के लिए आवेदन सेशन न्यायाधीश को अंतरित किए जाएँ ।
२) जब कभी पुनरिक्षण के लिए आवेदन उच्च न्यायालय को अंतरीत किया जाता है तब वह न्यायालय उसे इस प्रकार निपटाएगा मानो वह उसके समक्ष सम्यक्त: किया गया आवेदन है ।
३) जब कभी पुनरिक्षण के लिए आवेदन सेशन न्यायालय को अंतरीत किया जाता है तब वह न्यायालय उसे इस प्रकार निपटाएगा मानो वह उसके समक्ष सम्यक्त: किया गया आवेदन है ।
४) जहाँ पुनरीक्षण के लिए आवेदन उच्च न्यायालय द्वारा सेशन न्यायाधीश को अंतरित किया जाता है वहाँ उस व्यक्ति या उन व्यक्तियों की प्रेरणा पर जिनके पुनरीक्षण के लिए आवेदन सेशन न्यायाधीश द्वारा निपटाए गए है, पुनरीक्षण के लिए कोई और आवेदन उच्च न्यायालय या किसी अन्य न्यायालय में नहीं होगा ।

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