भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १८३ :
संस्वीकृतियों (अपराध स्वीकृती / कबुल करना) और कथनों को अभिलिखित करना :
१) उस जिले का कोई मजिस्ट्रेट, जिसमें किसी अपराध के किए जाने के बारे में इत्तिला रजिस्ट्रीकृत की गई है, चाहे उसे मामले में अधिकारिता हो या न हो, इस अध्याय के अधीन या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन किसी अन्वेषण के दौरान या तत्पश्चात् जाँच या विचारण प्रारंभ होने के पूर्व किसी समय अपने से कि गई किसी संस्वीकृति या कथन को अभिलिखित कर सकता है :
परन्तु इस उपधारा के अधीन की गई कोई संस्वीकृति या कथन, किसी अपराध के अभियुक्त व्यक्ति के अधिवक्ता की उपस्थिति में श्रव्य-दृश्य इलैक्ट्रानिक साधनों के माध्यम से भी अभिलिखित किया जा सकेगा :
परन्तु यह और कि कोई संस्वीकृति ऐसे किसी पुलिस अधिकारी द्वारा अभिलिखित नहीं की जाएगी जिसे तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन मजिस्ट्रेट की शक्ति प्रदान की गई है।
२) मजिस्ट्रेट किसी ऐसी संस्वीकृति को अभिलिखित करने के पूर्व उस व्यक्ति को, जो संस्वीकृति कर रहा है, यह समझाएगा कि वह ऐसी संस्वीकृति करने के लिए आबद्ध नहीं है और यदि वह उसे करेगा तो वह उसके विरुद्ध साक्ष्य में उपयोग में लाई जा सकती है; और मजिस्ट्रेट कोई ऐसी संस्वीकृति तब तक अभिलिखित न करेगा जब तक उसे करने वाले व्यक्ति से प्रश्न करने पर उसको यह विश्वास करने का कारण न हो कि वह स्वेच्छा से की जा रही है ।
३) संस्वीकृति अभिलिखित किए जाने से पूर्व यदि मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होने वाला व्यक्ति यह कथन करता है कि वह संस्वीकृति करने के लिए इच्छुक नहीं है तो मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति के पुलिस की अभिरक्षा में निरोध को प्राधिकृत नहीं करेगा ।
४) ऐसी संस्वीकृति किसी अभियुक्त व्यक्ति की परिक्षा को अभिलिखित करने के लिए धारा ३१६ में उपबंधित रीति से अभिलिखित की जाएगी और संस्वीकृति करने वाले व्यक्ति द्वारा उस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे; और मजिस्ट्रेट ऐसे अभिलेख के नीचे निम्नलिखित भाव का एक ज्ञापन लिखेगा :-
मैंने ………….(नाम) को यह समझा दिया है कि वह संस्वीकृति करने के लिए आबद्ध नहीं है और यदि वह ऐसा करता है तो कोई संस्वीकृति, जो वह करेगा, उसके विरुद्ध साक्ष्य में भी उपयोग में लाई जा सकती है और मुझे विश्वास है कि यह संस्वीकृति स्वेच्छा से की गई है ।
यह मेरी उपस्थिति में और मेसे सुनते हुए लिखि गई है और जिस व्यक्ति ने यह संस्वीकृति की है उसे यह पढकर सुना दी गई है और उसने उसका सही होना स्वीकार किया है और उसके द्वारा किए गए कथन का पूरा और सही वृत्तांत इसमें है ।
(हस्ताक्षर ) क.ख.
मजिस्ट्रेट ।
५) उपधारा (१) के अधीन किया गया (संस्वीकृति से भिन्न) कोई कथन साक्ष्य अभिलिखित करने के लिए इसमें इसके पश्चात् उपबंधित ऐसी रीति से अभिलिखित किया जाएगा जो मजिस्ट्रेट की राय में, मामले की परिस्थितियों में सर्वाधिक उपयुक्त हो; तथा मजिस्ट्रेट को उस व्यक्ति को शपथ दिलाने की शक्ति होगी जिसका कथन इस प्रकार अभिलिखित किया जाता है ।
६) (a) क) भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा ६४, धारा ६५, धारा ६६, धारा ६७, धारा ६८, धारा ६९, धारा ७०, धारा ७१, धारा ७४, धारा ७५, धारा ७६, धारा ७७, धारा ७८ या धारा १२४ के अधीन दण्डनीय मामलों में न्यायिक मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति का, जिसके विरुद्ध उपधारा (५) में विहित रिति में, ऐसा अपराध किया गया है, कथन जैसे ही अपराध का किया जाना पुलिस की जानकारी में लाया जाता है, अभिलिखित करेगा :
परन्तु ऐसा कथन जहां तक साध्य हो, महिला मजिस्ट्रेट द्वारा और उसकी अनुपस्थिति में पुरुष मजिस्ट्रेट द्वारा महिला अधिमानतया: महिला की उपस्थिति में अभिलिखित किया जा सकेगा :
परन्तु यह और कि ऐसे अपराध से संबंधित मामले में जो दस वर्ष या उससे अधिक कारावास से या आजीवन या मृत्युदंड से दंडनीय है, मजिस्ट्रेट पुलिस अधिकारी द्वारा उसके समक्ष लाए गए साक्ष्य के कथन को अभिलिखित करेगा :
परन्तु यह और कि यदि कथन करने वाला व्यक्ति अस्थायी या स्थायी रुप से मानसिक या शारीरिक रुप से नि:शक्त है, तो मजिस्ट्रेट कथन अभिलिखित करने में किसी द्विभाषिए या विशेष प्रबोधक की सहायता लेगा :
परन्तु यह और कि यदि कथन करने वाला व्यक्ति अस्थायी या स्थायी रुप से मानसिक या शारीरिक रुप से नि:शक्त है तो किसी द्विभाषिए या विशेष प्रबोधक की सहायता से उस व्यक्ति द्वारा किए गए कथन अधिमानतया: मोबाईल फोन के किसी श्रृव्य-दृश्य इलैक्टड्ढानिक साधन के माध्यम से भी अभिलिखित किया जा सकेगा ।
(b) ख) ऐसे किसी व्यक्ति के, जो अस्थायी या स्थायी रुप से मानसिक या शारीरिक रुप से नि:शक्त है, खंड (क) के अधीन अभिलिखित कथन को भारतीय साक्ष्य अधिनियम २०२३ की धारा १४२ में यथा विनिर्दिष्ट मुख्य परिक्षा के स्थान पर एक कथन समझा जाएगा और ऐसा कथन करने वाले की, विचारण के समय उसको अभिलिखित करने की आवश्यकता के बिना, ऐसे कथन पर प्रतिपरीक्षा की जा सकेगी ।
६) इस धारा के अधीन किसी संस्वीकृति या कथन को अभिलिखित करने वाला मजिस्ट्रेट, उसे उस मजिस्ट्रेट के पास भेजेगा जिसके द्वारा मामले की जाँच या विचारण किया जाना है ।