भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १७४ :
असंज्ञेय मामलों के बारे में इत्तिला और ऐसे मामलों का अन्वेषण :
१)जब पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को उस थाने की सीमाओं के अंदर असंज्ञेय अपराध के किए जाने की इत्तिला दी जाती है तब वह ऐसी इत्तिला का सार, ऐसी पुस्तक में, जो ऐसे अधिकारी द्वारा ऐसे प्ररुप में रखी जाएगी जो राज्य सरकार इस निमित्त नियमों द्वारा विहित करे, प्रविष्ट करेगा या प्रविष्ट कराएगा और –
एक) इत्तिला देने वाले को मजिस्ट्रेट के पास जाने को निर्देशित करेगा ।
दो) सभी ऐसे मामलो की पाक्षिक दैनिक डायरी रिपोर्ट मजिस्ट्रेट को भेजेगा ।
२) कोई पुलिस अधिकारी किसी असंज्ञेय मामले का अन्वेषण ऐसे मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना नहीं करेगा जिसे ऐसे मामले का विचारण करने की या मामले को विचारणार्थ सुपुर्द करने की शक्ति है ।
३) कोई पुलिस अधिकारी ऐसा आदेश मिलने पर (वारण्ट के बिना गिरफ्तारी करने की शक्ति के सिवाय) अन्वेषण के बारे में वैसी ही शक्तियों का प्रयोग कर सकता है जैसी पुलिस थाने का भारसाधक संज्ञेय मामले में कर सकता है ।
४) जहाँ मामले का संबंध ऐसे दो या अधिक अपराधों से है, जिनमें से कम से कम एक संज्ञेय है, वहाँ इस बात के होते हुए भी कि अन्य अपराध असंज्ञेय है,वह मामला संज्ञेय मामला समझा जाएगा ।