भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ९९ :
समपहरण (जब्ती) की घोषणा को अपास्त (रद्द करना) करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन :
१) किसी ऐसे समाचारपत्र, पुस्तक या अन्य दस्तावेज में, जिसके बारे में धारा ९८ के अधीन समपहरण की घोषणा की गई है, कोई हित रखने वाला कोई व्यक्ति उस घोषणा के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से दो मास के अन्दर उस घोषणा को इस आधार पर अपास्त कराने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन कर सकता है कि समाचार पत्र के उस अंक या पुस्तक अथवा अन्य दस्तावेज में जिसके बारें में वह घोषणा की गई थी; कोई ऐसी बात अन्तर्विष्ट नहीं है जो धारा ९८ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट है ।
२) जहाँ उच्च न्यायालय में तीन या अधिक न्यायाधीश है, वहाँ ऐसा प्रत्येक आवेदन उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों से बनी विशेष न्यायपीठ द्वारा सुना और अवधारित किया जाएगा और जहाँ उच्च न्यायालय में तीन से कम न्यायाधीश है, वहाँ ऐसी विशेष न्यायपीठ में उस उच्च न्यायालय के सब न्यायाधीश होंगे ।
३) किसी समाचारपत्र के सम्बन्ध में ऐसे किसी आवेदन की सुनवाई में, उस समाचार पत्र में, जिसकी बाबत समपहरण की घोषणा की गई थी, अन्तर्विष्ट शब्दों, चिन्हां या दृश्यरुपणों की प्रकृति के सबूत में सहायता के लिए उस समाचार-पत्र की कोई प्रति साक्ष्य में दी जा सकती है ।
४) यदि उच्च न्यायालय का इस बारे में समाधान नहीं होता है कि समाचारपत्र के उस अंक में या उस पुस्तक या अन्य दस्तावेज में, जिसके बारे में वह आवेदन किया गया है, कोई बात अन्तर्विष्ट है जो धारा ९८ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट है, तो वह समपहरण की घोषणा को अपास्त कर देगा ।
५) जहाँ उन न्यायाधीशों में, जिनसे विशेष न्यायपीठ बनी है, मतभेद है वहाँ विनिश्चय उन न्यायाधीशों की बहुसंख्या की राय के अनुसार होगा ।