भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ४५५ :
उपहति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् प्रच्छन्न (गुप्त) गृह अतिचार (अनधिकार प्रवेश) या गृह भेदन :
(See section 331(5) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : उपहति कारित करने, हमला, आदि की तैयारी के पश्चात् प्रच्छन्न गृह-अतिचार या गृह-भेदन ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
——-
जो कोई किसी व्यक्ती को उपहति कारित करने की या किसी व्यक्ती पर हमला करने की या किसी व्यक्ती का सदोष अवरोध करने की अथवा किसी व्यक्ती को उपहति के, या हमले के, या सदोष अवरोध करने के भय में डालने की तैयारी करके, प्रच्छन्न (गुप्त) गृह अतिचार या गृह भेदन करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
