Ipc धारा ३२७ : सम्पत्ति उद्यापित (ऐठना, छिनना) करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३२७ :
सम्पत्ति उद्यापित (ऐठना, छिनना) करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना :
(See section 119 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति उद्दापित करने के लिए अथवा कोई बात, जो अवैध है या जिससे अपराध किया जाना सुकर होता हो, करने के लिए मजबूर करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना ।
दण्ड :दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
——-
जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया उपहति कारित करेगा कि उपहत व्यक्ती से, या उससे हितबद्द किसी व्यक्ती से, कोई संपत्ति या मुल्यवान प्रतिभूति उद्यापित की जाए, या उपहत व्यक्ती को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ती को कोई ऐसी बात या कार्य, जो अवैध हो, या जिससे किसी अपराध का किया जाना सुकर होता है, करने के लिए मजबूर किया जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।

Leave a Reply