Ipc धारा २७५ : अपमिश्रित (मिलावट) औषधियों का विक्रय (बिक्री) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २७५ :
अपमिश्रित (मिलावट) औषधियों का विक्रय (बिक्री) :
(See section 277 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी ओषधि या भेषजीय निर्मिति को जिसके बारे में ज्ञात है कि वह अपमिश्रित है बेचने की प्रस्थापना करना या ओषधालय से देना ।
दण्ड :छह मास के लिए कारावास, या एक हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय :असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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राज्य संशोधन : उत्तरप्रदेश :
अपराध : किसी ओषधि या भेषजीय निर्मिति को जिसके बारे में ज्ञात है कि वह अपमिश्रित है बेचने की प्रस्थापना करना या ओषधालय से देना ।
दण्ड :जुर्माना सहित या रहित आजीवन कारावास ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई यह जानते हुए कि किसी औषधि या भेषजीय (चिकित्सीय / आयुर्विज्ञान/ औषधिय) निर्मिति में इस प्रकार से अपमिश्रण (मिलावट) किया गया है कि उसकी प्रभावकारिता कम हो गई या उसकी क्रिया बदल गई है, या वह अपायकार बन गई है, उसे बेचेगा या बेचने की प्रस्थापना करेगा, या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा, या किसी औषधालय से औषधीय प्रयोजनों के लिए उसे अनपमिश्रित (मिलावट रहित) के तौर पर देगा या उसका अपमिश्रित (मिलावट) होना न जानने वाले व्यक्ती द्वारा औषधीय प्रयोजनों के लिए उसका उपयोग कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा ।
राज्य संशोधन :
उत्तरप्रदेश : धाराओं २७२, २७३, २७४, २७५ और २७६ में शब्दों वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि ६ माह तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो एक हजार रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से दण्डित किया जाएगा के स्थान पर अग्रलिखित प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात –
आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा :
परन्तु यह कि पर्याप्त कारणों से जिनका उल्लेख निर्णय में किया जाएगा, न्यायालय ऐसे कारावास का दण्डादेश अधिरोपित कर सकेगा, जो कि आजीवन कारावास से कम हो ।

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