Ipc धारा २५३ : ऐसे व्यक्ती द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २५३ :
ऐसे व्यक्ती द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया :
(See section 180 (Explanation) of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : ऐसे व्यक्ति द्वारा भारतीय सिक्के पर कब्जा जो उसका परिवर्तित होना उस समय जानता था जब वह उसके कब्जे में आया ।
दण्ड :पाँच वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई कपटपूर्वक या बेईमानी से,या इस आशय से कि कपट किया जाए, ऐसे सिक्के को कब्जे में रखेगा, जिसके बारे में धारा २४७ या २४९ में से किसी में परिभाषित अपराध किया गया हो और जो उस समय, जब वह सिक्का उसके कब्जे में आया था, यह जानता था कि उस सिक्के के बारे में ऐसा अपराध किया गया है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।

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