भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २३२ :
भारतीय सिक्के का कूटकरण :
(See section 178 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : भारतीय सिक्के का कूटकरण या उसके कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को करना ।
दण्ड :आजीवन कारावास, दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :सेशन न्यायालय ।
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जो कोई १.(भारतीय सिक्के) का कूटकरण करेगा या जानते हुए भारतीय सिक्के के कूटकरण प्रक्रिया के किसी भाग को करेगा, वह २.(आजीवन कारावास) से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
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१. विधि अनुकूलन आदेश १९५० द्वारा क्वीन का सिक्का के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. १९५५ के अधिनियम सं० २६ की धारा ११७ और अनुसूची द्वारा आजीवन निर्वासन के स्थान पर प्रतिस्थापित ।